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"अंकुरित आलू खाना सही या गलत? जानें इससे होने वाले नुकसान"

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आलू भारतीय घरों में सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली सब्जी है। लेकिन कई बार जब आलू ज्यादा दिनों तक रखा जाता है तो उसमें अंकुर (sprouts) निकलने लगते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या अंकुरित आलू खाना सुरक्षित है या यह किसी तरह का जहर बन जाता है? इस लेख में हम अंकुरित आलू के नुकसान और इससे जुड़ी सावधानियों के बारे में विस्तार से जानेंगे। क्यों अंकुरित होता है आलू? आलू में प्राकृतिक रूप से स्टार्च होता है, जो समय के साथ टूटकर शुगर में बदल जाता है। जब आलू को नमी और गर्मी मिलती है, तो उसमें अंकुर निकलने लगते हैं। यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, लेकिन इससे आलू के अंदर कुछ हानिकारक तत्व भी बनने लगते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकते हैं। अंकुरित आलू में मौजूद विषैले तत्व अंकुरित आलू में मुख्य रूप से सोलानिन (Solanine) और चाकोनिन (Chaconine) नामक रसायन बनते हैं। ये रसायन आलू की त्वचा, अंकुर और हरे भागों में अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। अधिक मात्रा में इनका सेवन करने से शरीर में विषाक्त प्रभाव (toxicity) हो सकता है। अंकुरित आलू खाने के नुकसान 1. खाद्य विषाक्तता (Food Poisoning) यदि आप ज्य...

प्रेमानंद महाराज: संत जीवन और शिक्षाएं

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  भारत की संत परंपरा में अनेक महान संत हुए हैं, जिन्होंने अपने आध्यात्मिक ज्ञान और भक्ति से समाज को नई दिशा दी। ऐसे ही एक महान संत थे प्रेमानंद महाराज। वे एक महान संत, संत कवि और भक्त थे, जिन्होंने भक्ति मार्ग को अपनाकर समाज को प्रेम और ईश्वर की भक्ति का संदेश दिया। उनके प्रवचनों और शिक्षाओं ने लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित किया। इस लेख में हम उनके जीवन, शिक्षाओं और उनके योगदान पर विस्तार से चर्चा करेंगे। प्रेमानंद महाराज का जीवन परिचय प्रेमानंद महाराज का जन्म एक धार्मिक परिवार में हुआ था। उनका प्रारंभिक जीवन बहुत ही साधारण था, लेकिन बचपन से ही वे आध्यात्मिक प्रवृत्ति के थे। उन्होंने छोटी उम्र में ही संतों और साधु-संतों की संगति करना शुरू कर दिया था। उन्हें भक्ति और आध्यात्म की ओर गहरी रुचि थी, जिससे वे जल्द ही संत परंपरा की ओर आकर्षित हो गए। उन्होंने अपने जीवन को समाज सेवा और ईश्वर भक्ति के लिए समर्पित कर दिया। उनकी वाणी में एक विशेष आकर्षण था, जिससे लोग आसानी से प्रभावित हो जाते थे। वे प्रवचनों के माध्यम से लोगों को सत्य, प्रेम और भक्ति का संदेश देते थे। --- प्रेमानंद महाराज की...

भारतीय रेलवे की अनोखी ट्रेन: 528 किलोमीटर बिना रुके चलने वाली इकलौती ट्रेन

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 भारतीय रेलवे दुनिया के सबसे बड़े रेलवे नेटवर्क में से एक है। यहां हर दिन हजारों ट्रेनें चलती हैं, लेकिन कुछ ट्रेनें अपनी खासियत की वजह से चर्चा में रहती हैं। ऐसी ही एक खास ट्रेन है त्रिवेंद्रम-निजामुद्दीन राजधानी एक्सप्रेस, जो बिना रुके 528 किलोमीटर की दूरी तय करती है। यह भारत की सबसे लंबी नॉन-स्टॉप दूरी तय करने वाली ट्रेन है। कहां से कहां तक चलती है यह ट्रेन? यह ट्रेन दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से केरल की राजधानी त्रिवेंद्रम तक चलती है। यह उत्तर भारत से दक्षिण भारत को जोड़ने वाली प्रमुख ट्रेन है। पूरी यात्रा में यह कई राज्यों से होकर गुजरती है, जैसे कि हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक और केरल। 528 किलोमीटर बिना रुके कैसे चलती है ट्रेन? इस ट्रेन की सबसे खास बात यह है कि यह राजस्थान के कोटा जंक्शन से गुजरात के वडोदरा जंक्शन तक 528 किलोमीटर बिना रुके चलती है। इस सफर को यह ट्रेन सिर्फ 6.5 घंटे में पूरा करती है। किसी भी अन्य भारतीय ट्रेन ने इतनी लंबी दूरी बिना रुके तय नहीं की है। कब शुरू हुई थी यह ट्रेन? त्रिवेंद्रम-निजामुद्दीन राजधानी एक्सप्रेस की शुर...

सिर्फ 15 seconds के अंदर Iphone 13 को हैक कर दिया

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